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जातिगत जनगणना क्या है ? फायदे और नुकसान

जातिगत जनगणना क्या है ? फायदे और नुकसान

जातिगत जनगणना क्या है

भारत में प्रत्येक 10 साल में एक बार जनगणना की जाती है इस से सरकार को विकास के लिए कई योजनाए बनाने में सहायता मिलती है लेकिन आजकल जातीय जनगणना बहुत चर्चा में है काय आप जानते हैं जातिगत जनगणना क्या है यह सामान्य जनगणना से किस प्रकार अलग है जातिगत जनगणना के फायदे और नुकसान क्या- क्या हैं?

जातिगत जनगणना UPSC, जातिगत जनगणना बिहार, जनगणना सूची, भारत में जाति जनगणना कब हुआ था? जातीय जनगणना क्यों? जातीय जनगणना से क्या लाभ है?

जातिगत जनगणना क्या है?

जब सामान्य जनगणना होती है तो उसमें महिला, पुरुष, साक्षरता आदि की गणना की जाती है इसके साथ ही यह भी गणना की जाती है की सामान्य जाती की जनसंख्या कितनी है, अनुसूचित जाती, जनजाति की जनसंख्या है आदि लेकिन सामान्य जाती, अनुसूचित जाती/जनजाति , अन्य पिछड़ा वर्ग आदि के अंदर कौन कौन सी जाती के लोग है उनके बारे में जनगणना नहीं की जाती है।

जातिगत जनगणना का तात्पर्य जनगणना के साथ-साथ जाती की जानकारी जुटाने से है इससे इस बात की जानकारी भी मिलेगी कि देश में कौन सी जाति के कितने लोग रहते है. सीधे शब्दों में कहे तो जाति के आधार पर लोगों की गणना करना ही जातीय जनगणना कहलाता है.

भारत में आखिरी बार जातीय जनगणना 1931 में हुई थी

भारत में आखरी बार जातिगत जनगणना कब हुई थी यह सवाल आपके मन में जरूर होगा तो हम आपको बता देते हैं भारत में आखिरी बार जातीय जनगणना साल 1931 में ब्रिटिश शासनकाल में हुई थी, आजादी के बाद भारत सरकार द्वारा कभी भी जातिगत जनगणना नहीं की गई 1931 के बाद 1941 में भी जातिगत जनगणना हुई थी लेकिन उसके आँकड़े जारी नहीं किए गए और वर्ष 2011 में यूपीए सरकार के शासनकाल में भी जातीय जनगणना हुई थी, लेकिन रिपोर्ट में कमियां बता कर उसके भी आँकड़े जारी नहीं किए गए।

जातीय जनगणना के फायदे

जातीय जनगणना के फायदे और नुकसान के बारे मे सभी एकमत नहीं है कुछ लोग इसको फायदेमंद मानते हैं तो कुछ लोग इसके नुकसान गिनाते हैं। पहले जानते हैं जातिगत जनगणना क्यों जरूरी है अगर जातिगत जनगणना के फायदे के बात करें तो इससे यह पता चल सकेगा की भारत में कौन सी जाती पिछड़ेपन का शिकार है और इससे जाती विशेष की शिक्षा, विकास , आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी मिल सकेगी जिससे कि उस विशेष जाती के लिए विकास की योजनायें बनाने में आसानी होगी।

जातीय जनगणना के नुकसान

जातीय जनगणना के फ़ायदों के साथ नुकसान भी है इसी लिए ब्रिटिश सरकार ने भी भारत में 1931 के बाद जातीय जनगणना पर रोक लगा दि थी जातीय जनगणना से जात पात से जुड़ी हुई समस्याएं बढ़ेगी और अल्पसंख्यक जाती अपनी जनसंख्या बढ़ाने की कोसिस करेगी जिससे देश की जनसंख्या तेजी से बढ़ेगी, और इससे जातिगत भेदभाव भी उत्पन्न हो सकता है।

एक ओर जातिगत जनगणना के फायदे तो बहुत है लेकिन इससे कई नुकसान भी है इसी लिए विभिन्न राजनैतिक दलों व विशेषज्ञों में जातिगत जनगणना को करने या नहीं करने को लेकर मतभेद रहता है। इस पोस्ट में आपने जाना जातिगत जनगणना क्या है ? इसके फायदे और नुकसान क्या क्या है हमें उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आयओ होगी , इसके अलावा भी जातिगत जनगणना के बारे में आपके कोइ सवाल और सुझाव हो तो आप कमेन्ट में पूछ सकते हैं हम उसका उत्तर अवश्य देंगे।

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