उत्तराखंड का इतिहास :उत्तराखंड में हुए प्रमुख जन-आन्दोलन (Uttarakhand History)

उत्तराखंड का इतिहास :उत्तराखंड में हुए प्रमुख जन-आन्दोलन (Uttarakhand History)

uttarakhand history

 

>>कुली बेगार आन्दोलन

  • अंग्रेजी  शासनकाल में अंग्रेजो के  सामान को एक गाँव से दुसरे गाँव तक गाँव वालो को ढोना पड़ता था तथा इसका लेखा जोखा गाँव के मुखिया के पास रजिस्टर में रहता था,जिसे बेगार रजिस्टर कहा जाता था|
  • 13-14 जनवरी 1921 को बागेश्वर में सरयू नदी के किनारे उत्तरायणी  मेले में बद्रीदत्त  पाण्डेय , हरगोविंद पन्त व चिरंजीलाल के नेतृत्व   में लगभग 40 हजार आंदोलनकारियो ने बेगार नहीं देने का संकल्प लिया और कुली बेगार से सम्बंधित सभी रजिस्टर जला दिए और यही से इस कुप्रथा का अंत हो गया|

>>टिहरी राज्य आन्दोलन 

  • टिहरी में प्रजातान्त्रिक शासन की मांग को लेकर 20 वी शताब्दी के तीसरे दशक से ही कई जनांदोलन होने लगे थे  टिहरी में 1939 में श्री देवसुमन, दौलतराम, नागेन्द्र सकलानी आदि के प्रयासों से प्रजामंडल की स्थापना हुई और आन्दोलन का विस्तार हुआ, मई 1944 में श्री देवसुमन अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल पर बैठ गये और 25 जुलाई 1944 को 84 दिन के भूख हड़ताल के बाद उनकी मृत्यु हो गई |
  • 1948 में कीर्तिनगर आन्दोलन हुआ जिसमे भोलूराम और नागेन्द्र शहीद हुए|
  • राजा मानवेन्द्र शाह ने 1949 में  विलीनीकरण प्रपत्र पर हस्ताक्षर कर दिए और 1 अगस्त 1949 से   टिहरी संयुक्त उत्तरप्रदेश का जिला बन गया।

>> डोला पालकी अन्दोलान 

  • इस आन्दोलन से पूर्व राज्य के शिल्पकारो को शादी विवाह के अवसर पर डोला पालकी में बैठेने का अधिकार नहीं था|
  • जयानंद भारती द्वारा 1930 के आसपास डोला पालकी आन्दोलान चलाया गया जिसके बाद शिल्पकारो को यह अधिकार मिल गया|

>> कनकटा बैल बनाम भ्रष्टाचार आन्दोलन 

  • यह अन्दोलन भ्रष्टाचार के खिलाप था जो अल्मोड़ा के बडियार रेत (लमगड़ा) गाँव से शुरू हुआ|

>> कोटा खर्रा आन्दोलन 

  • इस आन्दोलन का उद्देश्य राज्य के तराई वाले क्षेत्रो में सीलिंग कानून को लागू कराकर भूमिहीनों को भूमि वितरण करना था|

Next –  उत्तराखंड का इतिहास : पृथक राज्य निर्माण के लिए आन्दोलन 

Also read…

1. प्रागैतिहासिक  काल 
2. आधएतिहासिक काल 
3. ऐतिहासिक काल ( प्राचीन कालमध्य काल , आधुनिक काल

uttarakhand history

 

 

Leave a Comment