प्रमुख फसल और उनके रोग – Types of Plant Diseases in hindi

प्रमुख फसल और उनके रोग – Types of Plant Diseases in hindi

Plant Diseases in hindi

प्रमुख फसल और उनके रोग – Types of Plant Diseases in hindi : जिस प्रकार मनुष्य को कई रोग होते है वैसे ही फसलों और पौधों को भी की प्रकार के रोग होते हैं ये रोग प्राकृतिक और पर्यावरण संकेतों के प्रभाव से होते हैं और उनका संचार कई तरीकों से होता है। वनस्पतियों के रोग किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती हैं, जिनसे उनकी उत्पादकता और आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम वनस्पतियों के मुख्य रोगों के बारे में जानेंगे, जिनसे खेती में उत्पादकता को कमी होती है।

प्रमुख फसल और उनके रोग – Types of Plant Diseases in hindi

फसल का नामरोग का नाम
अर्गट रोगबाजरा
उक्ठा रोगचना
हरित बाली रोगबाजरा
केंकर रोगनींबू
श्वेत फफोला रोगसरसों
कोयलिया रोगआम
पनामा सूखा रोगकेले
करनाल बंट रोगगेहूँ
लाल सड़न रोगगन्ने
खेरा रोग धान
ईयर कोकल रोगगेहूँ
फाईलोडी रोगतिल
टुंगरू रोगधान
पीत शिरा रोग भिंडी, पपीता, तम्बाकू
टिक्का रोगमूंगफली
हेन व चिकन रोग अंगूर
ग्राशि शूट रोग गन्ने
मोल्या रोगगेहूँ और जौ
चूर्णल फफूंद रोग मटर
बक आई रोट रोगटमाटर
ब्लेक आर्म रोगकपास

बाजरे का अर्गट रोग

इस रोग को चोपा के नाम से भी जाना जाता है।  इस रोग से ग्रस्त पौधों से गुलाबी रंग का चिपचिपा गाढ़ा रस निकलने लगता है। कुछ समय बाद इस चिपचिपे पदार्थ का रंग गहरा भूरा में बदल जाता है इस रोग के कारण बाजरे के दानों की पैदावार में भारी कमी आती है

नीबू का केंकर रोग

यह रोग नीबू और सिट्रिक फलों को प्रभावित करता है इस रोग के कारण पौधों की अनेक समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि फलों की उत्पादन में कमी, पौधों की मृत्यु, और पौधों की कमजोरी। इस रोग का उपचार करने के लिए नियमित रूप से प्रशासनिक कार्य, स्वच्छता और सही पोषण की देखभाल की आवश्यकता होती है, ताकि पौधों को इस रोग के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने और रोकथाम करने के लिए उपाय आसानी से लागू किया जा सके।

गन्ने का लाल सड़न रोग

लाल सड़न रोग (Red Rot Disease) गन्ने के पौधों को प्रभावित करने वाला एक गंभीर फफूंदीवाला रोग है। यह गन्ने की कई प्रजातियों को प्रभावित कर सकता है, जिससे फसल की प्रदर्शन कम हो जाती है। इस रोग के प्रमुख लक्षण में से एक है गन्ने के कई हिस्सों में लाल रंग की दानें जो फल के समय भी नजर आ सकती हैं। इस रोग के कारण पौधों के सभी भागों की रक्तसंचरण में बाधा होती है जिससे पौधों की वृद्धि प्रभावित होती है और उनका पूरा विकास नहीं हो पाता। इस रोग को नियंत्रित करने के लिए, सुरक्षा के उपायों को ध्यान में रखना और स्वच्छता का पालन करना महत्वपूर्ण है, साथ ही आपको पौधों की सही देखभाल और संभालना भी करनी चाहिए। यह बीमारी गन्ने के खेतीकरों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती होती है, और उन्हें इसके खिलाफ पूरी तरह से सतर्क और संरक्षित रहना चाहिए।

धान का खेरा रोग

यह एक फफूंदीजनक रोग होता है जो खेती की फसलों में आमतौर पर पाया जाता है। यह विभिन्न प्रकार के पौधों पर प्रभावित हो सकता है, जैसे की गेहूं, चावल, मक्का, आदि।

मूंगफली का टिक्का रोग

इस रोग से ग्रस्त पौधे में पत्तियों तथा तनों में हल्के पीले दाग देखे जाते हैं जो बाद में गहरे रंग के वृताकार हो जाते है।

धान का टुंगरू रोग

टुंग्रो वायरस धान के लिए बहुत हानिकारक रोग है, जिससे पौधों को अधिक नुकसान होता है। यह रोग फसलों को शुरुआती अवस्था में ही संक्रमित कर लेता है, जिससे पैदावार में कमी आ सकती है।

उक्ठा रोग

उकठा रोग में पौधों की पत्तियाँ और नरम भाग सूख जाते हैं और उनमें सख्ती कम हो जाती है। यह रोग अरहर, गन्ना, चना आदि कई प्रकार के पौधों में हो सकता है।

गेहूँ और जौ का मोल्या रोग

मोलिया रोग गेहूँ और जौ के पौधों मे देखने को मिलता है इस रोग से ग्रसित पौधे पीले व बौने रह जाते हैं। और बालियां छोटी रह जाती हैं। रोगी पौधों की जड़ें छोटी व झाड़ीनुमा हो जाती हैंजिससे फसल की पैदावार कम हो जाती है।

कपास का ब्लेक आर्म रोग

कपास का ब्लैक आर्म रोग एक प्रमुख फसल के रोग है, जो कपास की पौधों को प्रभावित करता है। इस रोग में, पौधों की तने, पत्तियाँ और शाखाएं काली हो जाती हैं, जिससे पौधों का विकास प्रतिकूल होता है और पैदावार पर असर पड़ता है।

ब्लैक आर्म रोग के प्रबंधन के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं, जैसे कि फसल के सही समय पर बुआई, बीमार पौधों के संचित काटबंदी, और उपयुक्त रोगनाशकों का उपयोग। इसके अलावा, अनुशासनिक जलवायु प्रबंधन भी रोग के प्रसार को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

मटर का चूर्णल फफूंद रोग

“मटर का चूर्णल फफूंद रोग” एक प्रकार का फसल का रोग है, जो मटर की पौधों को प्रभावित करता है। इस रोग में, पौधों के पत्तों और अन्य भागों पर चूर्णल पदार्थ (फफूंद) की गाठें बनती हैं, जिससे पौधे की स्वस्थता पर असर पड़ता है।

गेहूं का करनाल बंट रोग

करनाल बंट रोग गेहूं के साथ जुड़ा हुआ एक प्रमुख रोग है। इस रोग की उत्पत्ति टिलटिया इंडिका कवक से होती है, जो जब फूलता है, तो दानों को संक्रमित कर देता है। इससे बीजाणुओं का अत्यधिक उत्पादन होता है, जिससे अनाज की गुणवत्ता प्रभावित होती है और अनाज उत्पादों का रंग भी कम हो जाता है।

करनाल बंट रोग का प्रबंधन करने के लिए, स्वस्थ बीज का चयन, समय पर बुआई की गई फसलों की संयमित जल आपूर्ति, और रोगनाशकों का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, पौधों की सही देखभाल और समय पर रोगों के संकेतों की पहचान करने में भी मदद मिल सकती है।

टमाटर का बक आई रोट रोग

बक आई रोट रोग टमाटर की फसल से संबंधित है इस रोग से प्रभावित फलों पर हल्के तथा गहरे भूरे रंग के गोलाकार धब्बे दिखाई देते हैं जो हिरण की आंख की तरह लगते हैं। रोगग्रस्त फल प्रायः जमीन पर गिर जाते हैं तथा सड़ जाते हैं।

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