शैलेश मटियानी का जन्म अल्मोडा जिले के बाड़ीछीना नाम के गॉंव में 14 अक्टूबर, 1931 में हुआ था। उनका मूल नाम रमेशचन्द्र सिंह मटियानी था।
शैलेश मटियानी ने 25 उपन्यासों ,19 कहानी संग्रह ,10 वैचारिक लेख संग्रह तथा एक दर्जन से अधिक बालोपयोगी पुस्तकों का सर्जन किया| १९५० से ही उन्होंने कविताएें और कहानियां लिखनी शुरू कर दी थी। शुरु में वे रमेश मटियानी ‘शैलेश’ नाम से लिखते थे। उनकी आरंभिक कहानियां ‘रंगमहल’ और ‘अमर कहानी’ पत्रिका में प्रकाशित हुई| उन्होंने ‘विकल्प’ और ‘जनपक्ष’ नामक दो पत्रिकाएँ निकाली।
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कहानी संग्रह
- ‘दो दुखों का एक सुख’
- ‘नाच जमूरे नाच’,
- ‘हारा हुआ’
- ‘जंगल में मंगल’
- ‘महाभोज’
- ‘चील’
- ‘प्यास
- पत्थर’
- ‘बर्फ की चट्टानें’
- ‘सुहागिनी तथा अन्य कहानियां’
- ‘पाप मुक्ति तथा अन्य कहानियां’
- ‘माता तथा अन्य कहानियां’
- ‘अतीत तथा अन्य कहानियां’
- ‘भविष्य तथा अन्य कहानियां’
- ‘अहिंसा तथा अन्य कहानियां’
- ‘भेंड़े और गड़ेरिए’
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उपन्यास
- ‘हौलदार’
- ‘चिट्ठी रसेन’
- ‘मुख सरोवर के हंस’,
- ‘एक मूठ सरसों’
- ‘बेला हुई अबेर’
- ‘गोपुली गफूरन’
- ‘नागवल्लरी’,
- ‘आकाश कितना अनंत है’
- ‘बोरीबली से बोरीबंदर’,
- ‘भागे हुए लोग’,
- ‘मुठभेड़’
- ‘चंद औरतों का शहर’
- ‘किस्सा नर्मदा बेन गंगू बाई’,
- ‘सावित्री’,
- ‘छोटे-छोटे पक्षी’,
- ‘बावन नदियों का संगम’,
- ‘बर्फ गिर चुकने के बाद’,
- ‘कबूतरखाना’
- ‘माया सरोवर’
- ‘रामकली’
- ‘गोपूली गफूरन’
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निबंध और संस्मरण
- ‘मुख्य धारा का सवाल’,
- ‘कागज की नाव’
- ‘राष्ट्रभाषा का सवाल’,
- ‘यदा कदा’,
- ‘लेखक की हैसियत से’,
- ‘किसके राम कैसे राम’
- ‘जनता और साहित्य’
- ‘यथा प्रसंग’,
- ‘कभी-कभार’
- ‘राष्ट्रीयता की चुनौतियां’
- ‘किसे पता है राष्ट्रीय शर्म का मतलब’
शैलेश मटियानी के पुरस्कार, सम्मान
- 1992 में कुमाऊं विश्वविद्यालय ने डी० लिट० की मानद उपाधि से सम्मानित किया।
- 1984 में मुठभेड़ उपन्यास के लिए फणीश्वरनाथ रेणु पुरस्कार प्रदान किया गया।
- उत्तर प्रदेश सरकार का संस्थागत सम्मान,
- शारदा सम्मान
- देवरिया केडिया सम्मान
- साधना सम्मान
- लोहिया सम्मान
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