हिमाचल प्रदेश की जलवायु एवं मृदाएँ

हिमाचल प्रदेश की जलवायु एवं मृदाएँ

हिमाचल प्रदेश एक हिमालयी राज्य है जो समुद्र तल से 350 से 7000 मीटर की ऊंचाई के मध्य स्थित है ऊंचाई के अनुसार यहाँ की जलवायु एवं मृदा में भी भिन्नता पाई जाती है इस पोस्ट में हम हिमाचल प्रदेश की जलवायु एवं मृदाएँ के बारे में विस्तार से जानेंगे।

हिमाचल प्रदेश की जलवायु

  • हिमाचल प्रदेश में मुख्यतः उपोष्ण कटिबंधीय एवं अर्द्ध ध्रुवीय प्रकार की जलवायु पारी जाती है।
  • समुद्र तल से 1000 मीटर से कम ऊंचाई वाले इलाकों में कम आद्र ऊष्ण कटिबंधीय व गरम जलवायु पाई जाती है।
  • समुद्र तल से 900 से 1800 मीटर वाले इलाकों में हल्की गर्म व शीतोष्ण जलवायु पाई जाती है।
  • समुद्र ताल से 1900 – 2400 मीटर ऊंचाई वाले स्थानों में ठंडी व शीतोष्ण जलवायु पाई जाती है।
  • प्रदेश में अधिक ऊंचाई वाले स्थानों में अक्टूबर से जनवरी तक हिमपात अधिक मात्र में होता है
  • हिमाचल प्रदेश में स्थानीय भाषा मे ग्रीष्म ऋतु को तौदीं कहा जाता है, इस ऋतु में मैदानी इलाकों में अधिक गर्मी होती है ।
  • ऊंचे हिमालयी इलाकों में ग्रीष्म ऋतु में मौसम सुहावना रहता है।
  • हिमाचल प्रदेश में औसत 160 सेन्टमीटर वर्षा होती है।
  • प्रदेश का सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र धर्मशाला (340 सेमी.) है।
  • प्रदेश का सबसे कम वर्षा वाला क्षेत्र स्पीति (5 सेमी.) है।

हिमाचल प्रदेश की मृदा

हिमाचल प्रदेश के मैदानों से लेकर घाटियों व पहाड़ों तक अलग-अलग प्रकार की मृदा पाई जाती है हिमाचल प्रदेश के कृषि विभाग द्वारा यहाँ की मृदा को पाँच प्रकारों में विभाजित किया गया है

  1. निम्न पहाड़ी मृदा क्षेत्र
  2. मध्य पहाड़ी मृदा क्षेत्र
  3. उच्च पहाड़ी मृदा क्षेत्र
  4. पर्वतीय मृदा क्षेत्र
  5. शुष्क पहाड़ी मृदा क्षेत्र

निम्न पहाड़ी मृदा क्षेत्र

इस क्षेत्र के अंतर्गत 900 से 1000 मीटर ऊंचाई वाले स्थान शामिल हैं , इस प्रकार की मृदा में धान, गन्ना, गेहूं, मक्काआदि की फसल होती है।

मध्य पहाड़ी मृदा क्षेत्र

इस क्षेत्र के अंतर्गत 1000 से 1500 मीटर ऊंचाई वाले स्थान शामिल हैं यहाँ की मृदा अक्सर रेतीली होती है जो आलू, मक्का की खेती के लिए उपयोगी है।

उच्च पहाड़ी मृदा क्षेत्र

इस क्षेत्र के अंतर्गत 1500 से 2100 मीटर ऊंचाई वाले स्थान शामिल हैं इस क्षेत्र की मृदा बलुई दोमट व चिकनी दोमट प्रकार की होती है जिसका रंग भूरा होता है। जो फलों के उत्पादन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होती है।

पर्वतीय मृदा क्षेत्र

इस क्षेत्र के अंतर्गत 2100 से 3500 मीटर ऊंचाई वाले स्थान शामिल हैं इस क्षेत्र की मृदा गाद युक्त दोमट प्रकार की होती है जिसका रंग गहरा भूरा होता है ।

शुष्क पहाड़ी मृदा क्षेत्र

इस क्षेत्र के अंतर्गत 3500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले स्थान शामिल हैं इस क्षेत्र में ऊसर प्रकार की मृदा पायी जाती है जिसमें नमी की मात्र बहुत कम होती है, यह मृदा मेवों के लिए उपयुक्त है।

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